भारत की राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों की सर्वोच्च सेनापति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को हरियाणा के अंबाला वायुसेना स्टेशन से राफेल लड़ाकू विमान में ऐतिहासिक उड़ान भरकर नया अध्याय लिखा। यह पहली बार है जब किसी भारतीय राष्ट्रपति ने इस अत्याधुनिक फ्रांसीसी मूल के बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान में उड़ान भरी।
इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मू की सहायता फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह ने की, जो भारतीय वायुसेना की पहली महिला राफेल पायलटों में से एक हैं। यही शिवांगी सिंह वह पायलट हैं जिनके बारे में पाकिस्तान ने "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान झूठा दावा किया था कि उन्हें बंदी बना लिया गया है।
उड़ान के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने राफेल के आधुनिक नेविगेशन, हथियार प्रणाली और हवाई संचालन क्षमता का अनुभव किया। उनके साथ वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने दूसरे राफेल विमान में उड़ान भरते हुए मिशन को दो-विमानीय स्वरूप दिया।
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राष्ट्रपति की यह उड़ान भारतीय वायुसेना की तकनीकी क्षमता और महिला सैन्य अधिकारियों की बढ़ती भागीदारी का प्रतीक मानी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह ऐतिहासिक क्षण भारतीय रक्षा इतिहास में प्रेरणादायक अध्याय जोड़ेगा और युवा पीढ़ी में वायुसेना के प्रति उत्साह बढ़ाएगा।
राफेल विमानों को 2020 में भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया था और तब से ये देश की वायु शक्ति का अहम हिस्सा बन चुके हैं।
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