सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति द्वारा भेजा गया संवैधानिक संदर्भ (Presidential Reference) केवल एक राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सभी राज्यों से संबंधित एक महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दा है। न्यायालय ने यह भी कहा कि वह इस संदर्भ में उठाए गए सभी सवालों का विस्तार से उत्तर देगा।
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला केवल एक राज्य या एक राजनीतिक घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी संवैधानिक गूंज पूरे देश पर प्रभाव डालती है।
राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 143 के तहत सर्वोच्च न्यायालय से राय मांगी है, जिसमें पूछा गया है कि क्या राज्यपाल की भूमिका, विधानसभा में बहुमत परीक्षण और विधानमंडल के अधिकार क्षेत्र से जुड़े कुछ पहलुओं पर अदालत की व्याख्या आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को "संवैधानिक सिद्धांतों की स्पष्टता और संघीय संरचना की स्थिरता" के लिए अत्यंत आवश्यक बताया। अदालत ने यह भी कहा कि वह इस संदर्भ में सभी पक्षों की दलीलें सुनेगी और निष्पक्ष निर्णय देगी, जिससे भविष्य में कोई भ्रम न रहे।
यह मामला भारतीय संघवाद, राज्यपाल की भूमिका और संवैधानिक प्रक्रिया की व्याख्या के लिहाज़ से ऐतिहासिक माना जा रहा है। कोर्ट का फैसला दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।