पूर्व केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बुधवार (17 दिसंबर, 2025) को ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमलों की गहन जांच की मांग की। उन्होंने स्पष्ट किया कि अपने बयानों के लिए माफी मांगने का कोई सवाल ही नहीं उठता और देश को इन घटनाओं से जुड़ा पूरा सच जानने का अधिकार है।
The Indian Witness से बातचीत में कांग्रेस नेता ने कहा, “देश को पूरी सच्चाई जाननी चाहिए। यदि मैं राजनीतिक नेतृत्व से सवाल पूछता हूं तो इसमें गलत क्या है? मैं जानना चाहता हूं कि क्या नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मेरा देश सुरक्षित है।” उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते सवाल उठाना उनका कर्तव्य है।
पृथ्वीराज चव्हाण की यह मांग उनके उस बयान के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के पहले ही दिन भारत को पूरी तरह से पराजय का सामना करना पड़ा था। इस टिप्पणी के बाद राजनीतिक हलकों में काफी हलचल मच गई थी। हालांकि, चव्हाण ने सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है और उनके शब्दों का आशय तोड़-मरोड़ कर समझाया गया।
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अपने रुख का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, “एक नागरिक के रूप में मेरा दायित्व है कि मैं वैज्ञानिक सोच, मानवतावाद और जांच व सुधार की भावना को बढ़ावा दूं। हमें अंधविश्वास या बिना सवाल किए किसी बात को मानने के बजाय तर्क, करुणा और प्रगति की दिशा में सोचना चाहिए।”
कांग्रेस नेता ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर पारदर्शिता और जवाबदेही बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर कोई सवाल उठाता है तो उसे राष्ट्रविरोधी करार देना गलत है। उनके अनुसार, लोकतंत्र में सवाल पूछना और जवाब मांगना देशहित में होता है।
इस बयान के बाद राजनीतिक बहस और तेज हो गई है, जहां सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा, जवाबदेही और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर टकराव साफ नजर आ रहा है।
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