वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी रिकॉर्ड 22.56 प्रतिशत तक पहुँच गई है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि निजी कंपनियों का रक्षा क्षेत्र में योगदान लगातार बढ़ रहा है और वे अब इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी में यह वृद्धि 2016-17 में रक्षा क्षेत्र को निजी निर्माताओं के लिए खोलने के बाद से लगातार हो रही है। उस वर्ष से ही सरकार ने निजी कंपनियों को रक्षा उपकरण और सैन्य उपकरणों के निर्माण में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। नीतिगत सुधारों, तकनीकी हस्तांतरण और वित्तीय प्रोत्साहनों के माध्यम से निजी कंपनियों को आधुनिक हथियार प्रणालियों, मिसाइल सिस्टम और अन्य रक्षा उत्पादों में निवेश करने का अवसर मिला।
निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी ने न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ाई है बल्कि गुणवत्ता और नवाचार में भी सुधार किया है। आधुनिक प्रौद्योगिकी और बेहतर उत्पादन प्रक्रियाओं के कारण भारतीय सेना के लिए उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण उपलब्ध हो रहे हैं। इससे भारत की आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की क्षमता भी बढ़ी है।
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सरकार ने लक्ष्य रखा है कि आने वाले वर्षों में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी और अधिक बढ़े, जिससे रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती आए। इस दिशा में और प्रोत्साहन और सुधारों की उम्मीद है।
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