बीजिंग द्वारा ताइवान पर किए गए हालिया दावे के बावजूद, भारत की ताइवान नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह जानकारी सरकार के सूत्रों ने दी। चीन की विदेश मंत्रालय की हालिया टिप्पणी में कहा गया था कि “स्थिर, सहयोगात्मक और दूरदर्शी भारत-चीन संबंध दोनों देशों के हित में हैं। ताइवान चीन का हिस्सा है।”
सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट किया कि भारत और ताइवान के बीच आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक संबंध हैं, जो भविष्य में भी जारी रहेंगे। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति में किसी भी परिस्थिति में अपने व्यापक हितों और द्विपक्षीय संबंधों को संतुलित करने का प्रयास रहेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, ताइवान के साथ भारत के संबंध व्यापार, तकनीकी नवाचार और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रगाढ़ हैं। यह सहयोग क्षेत्रीय और वैश्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत ताइवान के साथ निवेश, तकनीकी साझेदारी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को निरंतर बढ़ावा देगा, जबकि चीन के साथ अपने रणनीतिक और सुरक्षा संबंधों को भी बनाए रखेगा।
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सरकारी सूत्रों ने यह भी बताया कि भारत-चीन संबंधों में स्थिरता और सहयोग आवश्यक है, और दोनों देशों के बीच संवाद और समझौते को बनाए रखना प्राथमिकता है। भारत अपने विदेश नीति के सिद्धांतों पर कायम रहते हुए, किसी भी दबाव या बयान के बावजूद अपने दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखकर निर्णय लेता रहेगा।
इस नीति से स्पष्ट होता है कि भारत ताइवान के साथ अपने सहयोग को जारी रखेगा, जबकि चीन के साथ द्विपक्षीय और क्षेत्रीय संतुलन भी बनाए रखेगा।
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