पंजाब की निलंबित IPS अधिकारी रवजोत कौर ग्रेवाल की बहाली को लेकर राज्य सरकार एक कठिन स्थिति में फंस गई है। चुनाव आयोग द्वारा निलंबन के बाद अब उन्हें वापस सेवा में लाने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है, क्योंकि नियमों के अनुसार बहाली का फैसला केवल भारत निर्वाचन आयोग ही ले सकता है, वह भी कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन विभाग की सहमति के साथ।
रवजोत कौर ग्रेवाल, जो तरन तारन की पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) थीं, को 8 नवंबर को निलंबित कर दिया गया था। यह कार्रवाई 11 नवंबर को होने वाले तरन तारन विधानसभा उपचुनाव से ठीक पहले की गई थी। चुनाव आयोग ने उन्हें चुनाव प्रक्रिया से संबंधित कथित लापरवाही और आचरण संबंधी शिकायतों के आधार पर तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश दिया था।
अब जबकि उपचुनाव खत्म हो चुका है और आचार संहिता भी लागू नहीं है, फिर भी राज्य सरकार उन्हें बहाल करने की स्थिति में नहीं है। सरकार ने संबंधित नियमों का अध्ययन किया और पाया कि जब कोई अधिकारी चुनाव आयोग द्वारा निलंबित किया जाता है, तो उसकी बहाली का फैसला राज्य सरकार नहीं ले सकती। इस स्थिति में राज्य सरकार को पूरी तरह चुनाव आयोग और केंद्र के कार्मिक विभाग की प्रक्रिया का इंतजार करना होगा।
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सूत्रों के अनुसार, पंजाब सरकार इस मामले को लेकर बेहद सतर्क है, ताकि किसी भी कानूनी या प्रशासनिक विवाद से बचा जा सके। वहीं, रवजोत कौर ग्रेवाल बहाली को लेकर निर्णय का इंतजार कर रही हैं और फिलहाल उनके भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
यह मामला राज्य और केंद्र के बीच प्रशासनिक अधिकारों की संवेदनशील सीमाओं को एक बार फिर उजागर करता है, खासकर तब जब कोई कार्रवाई सीधे चुनाव आयोग द्वारा की गई हो।
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