राजस्थान सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बाजरा आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। सरकार ने तय लक्ष्य को पार करते हुए कुल 152 बाजरा आउटलेट्स स्थापित किए हैं। यह पहल राज्य के ग्रामीण इलाकों में पौष्टिक, टिकाऊ और सुलभ भोजन विकल्प उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
सरकार का मानना है कि बाजरा न केवल पोषण से भरपूर है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है क्योंकि इसकी खेती में कम पानी और कम संसाधनों की आवश्यकता होती है। राजस्थान, जो परंपरागत रूप से बाजरा उत्पादन में अग्रणी राज्यों में शामिल है, अब इसकी खपत और विपणन को भी प्रोत्साहित कर रहा है।
इन आउटलेट्स के माध्यम से ग्रामीण उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार के बाजरा उत्पाद जैसे बाजरा आटा, स्नैक्स और अन्य स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे। इससे एक ओर स्थानीय किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी, वहीं दूसरी ओर उपभोक्ताओं को सस्ते और पौष्टिक विकल्प मिलेंगे।
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राज्य सरकार का कहना है कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "मोटे अनाज को सुपरफूड बनाने" के अभियान से भी जुड़ी है। 2023 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष’ घोषित किए जाने के बाद से भारत ने बाजरा उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान का यह कदम अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणादायक साबित हो सकता है। इससे न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि लोगों में स्वस्थ आहार के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी। राज्य सरकार भविष्य में इन आउटलेट्स की संख्या और बढ़ाने की योजना पर भी विचार कर रही है।
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