राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर के चार सीटें उपराष्ट्रपति चुनाव के दौरान दूसरी बार लगातार खाली रह गई हैं। यह स्थिति इसलिए बनी क्योंकि चुनाव आयोग ने इन सीटों को भरने के लिए द्विवार्षिक चुनाव अब तक नहीं कराए हैं।
जम्मू-कश्मीर के ये चार सीटें पिछले लगभग 10 महीनों से खाली हैं। इस वजह से उपराष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी ये सीटें खाली ही रही, जिससे जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में सीमित हो गया।
चुनाव आयोग के अनुसार, द्विवार्षिक चुनाव की प्रक्रिया में देरी के कारण अभी तक इन सीटों पर चुनाव नहीं हो पाए हैं। इसके चलते जम्मू-कश्मीर के लोगों का प्रतिनिधित्व इस महत्वपूर्ण संसदीय निकाय में पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है।
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राज्यसभा की ये सीटें केंद्रीय शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसके जरिए वहां के नागरिकों की आवाज संसद के ऊपरी सदन में सुनवाई होती है। सीटें खाली होने से इस आवाज़ को ठेस पहुंच रही है।
राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर की सीटों पर चुनाव की लगातार देरी को लेकर कई राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार से सवाल उठाए हैं। उन्होंने समय रहते चुनाव कराने और जम्मू-कश्मीर के प्रतिनिधित्व को बहाल करने की मांग की है।
इस मामले में राजनीतिक और संवैधानिक विशेषज्ञ भी इस देरी को गंभीरता से देख रहे हैं, क्योंकि इससे संसद की पूर्णता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित होती है।
कुल मिलाकर, जम्मू-कश्मीर की राज्यसभा की सीटें खाली रहना उपराष्ट्रपति चुनाव के दौरान एक महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दा बन गया है, जिसे जल्द से जल्द हल करने की आवश्यकता है।
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