संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में उस समय जोरदार हंगामा देखने को मिला जब विपक्षी सांसदों ने सदन के भीतर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) कर्मियों की मौजूदगी पर आपत्ति जताई। विपक्ष का कहना है कि यह कदम संसदीय परंपराओं का उल्लंघन है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के खिलाफ है।
सूत्रों के मुताबिक, कुछ CISF कर्मियों को सुरक्षा कारणों से सदन में तैनात किया गया था। लेकिन विपक्षी दलों ने इसे सदन की गरिमा के खिलाफ बताते हुए जोरदार विरोध किया। कई सांसदों ने कहा कि यह पहली बार है जब इतने बड़े पैमाने पर सुरक्षा कर्मियों की मौजूदगी सदन में देखी गई है।
हंगामे के चलते कार्यवाही कुछ समय के लिए बाधित हुई और विपक्ष ने सरकार से इस फैसले पर स्पष्टीकरण देने की मांग की। सभापति ने मामले पर चर्चा का आश्वासन दिया और कहा कि सुरक्षा व्यवस्थाओं पर विचार किया जाएगा।
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सरकार का कहना है कि सुरक्षा कारणों से यह कदम उठाया गया है और इसका उद्देश्य सदन की कार्यवाही में बाधा डालना नहीं था। इसके बावजूद विपक्षी दलों का कहना है कि यह कदम असंवैधानिक है और भविष्य में संसदीय कार्यप्रणाली पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आने वाले दिनों में संसद में बड़ा विवाद बन सकता है और सत्तारूढ़ दल एवं विपक्ष के बीच टकराव को और बढ़ा सकता है।
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