दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार (21 नवंबर 2025) को लाल किला ब्लास्ट मामले के सह–आरोपी जासिर बिलाल वानी की उस याचिका पर आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें उसने नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) मुख्यालय में अपने वकील से मुलाकात की अनुमति मांगी थी।
जस्टिस स्वराणा कांत शर्मा ने कहा कि आरोपी यह साबित करने में नाकाम रहा है कि ट्रायल कोर्ट ने उसकी इस मांग को पहले कभी खारिज किया हो। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह किसी विशेष व्यक्ति के लिए अलग आदेश जारी नहीं कर सकती, क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया का पालन सभी के लिए समान रूप से होना अनिवार्य है। अदालत ने कहा कि आरोपी कोई “विशेष” व्यक्ति नहीं है, और यदि उसे अपने वकील से मुलाकात करनी है, तो उसे निर्धारित न्यायिक प्रक्रिया और कानूनी मार्गों का अनुसरण करना होगा।
जासिर बिलाल वानी दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके के मामले में सह–आरोपी है, जिसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा की जा रही है। उसने अपनी याचिका में दावा किया था कि उसे NIA मुख्यालय में अपने वकील से मिलने दिया जाए, क्योंकि मामले से जुड़े कई दस्तावेज और पूछताछ वहीं चल रही है।
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हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह की मांग पर विचार तभी किया जा सकता है जब आरोपी पहले ट्रायल कोर्ट में जाकर आदेश प्राप्त करे या वहां से उसकी प्रार्थना अस्वीकार होने का रिकॉर्ड प्रस्तुत करे। बिना ऐसी किसी पृष्ठभूमि के हाई कोर्ट सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
अदालत ने यह भी कहा कि एजेंसी पहले से मौजूद नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार ही आरोपी को सुविधा देगी, और अदालत उन प्रक्रियाओं में बिना उचित आधार के बदलाव नहीं कर सकती।
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