राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कड़े प्रवर्तन की कमी और शीर्ष अदालत के एक आदेश के कारण दिल्ली में ओवरएज यानी ‘एंड ऑफ लाइफ’ वाहन बड़ी संख्या में सड़कों पर चल रहे हैं। आयोग ने बताया कि दिल्ली में 63 लाख से अधिक पुराने वाहन अब भी चल रहे हैं, जो वायु प्रदूषण को और खराब कर रहे हैं।
सीएक्यूएम, जिसका प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी कर रही थीं, ने अदालत को बताया कि ऐसे वाहनों को सड़कों से हटाने के उसके प्रयास कमजोर प्रवर्तन और सुप्रीम कोर्ट के 12 अगस्त के आदेश से प्रभावित हुए हैं। इस आदेश ने पुरानी गाड़ियों पर लगे कई प्रतिबंधों को अस्थायी राहत दी थी।
आयोग ने बताया कि उसने 1 जुलाई से दिल्ली में ओवरएज वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन न देने का आदेश जारी किया था। इसके अलावा, संबंधित अधिकारियों को इन वाहनों को जब्त करने का निर्देश दिया गया था। यह कदम 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में उठाया गया था, जिसने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश को बरकरार रखा था। एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से पुराने डीज़ल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगाया था।
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हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को 2018 के इस फैसले पर रोक लगा दी, जिसके बाद पुराने वाहनों को राहत मिली और वे दोबारा सड़कों पर आ गए। आयोग ने कहा कि यह राहत भले ही यात्रियों के लिए सुविधाजनक हो, लेकिन इससे दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर गंभीर असर पड़ रहा है।
सीएक्यूएम ने अदालत से अनुरोध किया कि पुराने वाहनों पर दोबारा प्रभावी रोक लगाने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश और प्रवर्तन तंत्र मजबूत किया जाए, ताकि प्रदूषण का स्तर नियंत्रित हो सके।
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