सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की कोल्हापुर में सर्किट बेंच स्थापित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका वकील रणजीत बाबूराव निंबालकर द्वारा दायर की गई थी, जिसमें कोल्हापुर में सर्किट बेंच के गठन पर आपत्ति जताई गई थी।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ ने की। पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कोल्हापुर में सर्किट बेंच की स्थापना का निर्णय “सभी तक न्याय पहुंचाने के संवैधानिक दृष्टिकोण के अनुरूप” है। अदालत ने स्पष्ट किया कि न्यायिक ढांचे का उद्देश्य आम नागरिकों को उनके नजदीकी स्थान पर न्याय उपलब्ध कराना है और इस फैसले से उसी लक्ष्य को मजबूती मिलती है।
गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट की कोल्हापुर सर्किट बेंच का उद्घाटन 17 अगस्त को किया गया था। इसका उद्घाटन भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने किया था। इस सर्किट बेंच के शुरू होने से पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर और आसपास के जिलों के लोगों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि अब उन्हें मामलों की सुनवाई के लिए मुंबई तक लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी।
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी संकेत दिया कि इस तरह की बेंचों की स्थापना से न्यायिक प्रक्रिया अधिक सुलभ और प्रभावी बनती है। अदालत ने कहा कि संविधान की भावना यही है कि न्याय प्रणाली आम लोगों के लिए सुलभ हो और क्षेत्रीय स्तर पर न्यायिक सुविधाओं का विस्तार इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
याचिका खारिज होने के बाद कोल्हापुर सर्किट बेंच के संचालन को लेकर बनी अनिश्चितता भी समाप्त हो गई है और अब यह बेंच अपने निर्धारित कार्यों को बिना किसी कानूनी बाधा के जारी रख सकेगी।
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