सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (17 दिसंबर 2025) को आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज से जुड़ी प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले को कलकत्ता हाईकोर्ट को स्थानांतरित कर दिया। शीर्ष अदालत ने कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि वे इस मामले से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई के लिए एक उपयुक्त डिवीजन बेंच (खंडपीठ) का गठन करें।
यह मामला सामने आने के बाद देशभर में आक्रोश और चिंता का विषय बन गया था। इसकी गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2024 में इस पर स्वतः संज्ञान (सुओ मोटो कॉग्निजेंस) लिया था। अदालत का उद्देश्य शुरू से ही यह सुनिश्चित करना रहा है कि मामले की निष्पक्ष, पारदर्शी और समयबद्ध जांच हो तथा दोषियों को कानून के अनुसार सख्त सजा मिले।
बुधवार को दिए गए आदेश में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि अदालत की रजिस्ट्री केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा दाखिल की गई स्थिति रिपोर्ट की एक प्रति पीड़िता के माता-पिता को उपलब्ध कराए। इस निर्देश को पीड़ित परिवार को जांच की प्रगति से अवगत कराने और न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
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अदालत ने स्पष्ट किया कि मामले को हाईकोर्ट स्थानांतरित करने का निर्णय इस उद्देश्य से लिया गया है ताकि सभी संबंधित याचिकाओं पर एक ही मंच पर सुनवाई हो सके और न्यायिक प्रक्रिया अधिक प्रभावी ढंग से आगे बढ़े। इससे न केवल कानूनी पहलुओं पर विस्तार से विचार संभव होगा, बल्कि पीड़ित परिवार को भी जल्द न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ेगी।
अब यह मामला कलकत्ता हाईकोर्ट के अधीन होगा और वहां गठित डिवीजन बेंच इसकी आगे की सुनवाई करेगी। सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि हाईकोर्ट इस संवेदनशील मामले में किस तरह के निर्देश और फैसले देता है।
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