कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए वीबी–जी राम जी (VB–G RAM G) विधेयक की कड़ी आलोचना करते हुए इसे ग्रामीण रोजगार की गारंटी से जुड़ी मौजूदा व्यवस्था की “आत्मा और दार्शनिक आधार पर सीधा हमला” करार दिया है। यह विधेयक मौजूदा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लेने के लिए लाया गया है।
शशि थरूर ने कहा कि विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB–G RAM G विधेयक देश के सबसे कमजोर और हाशिए पर खड़े नागरिकों के कल्याण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता से पीछे हटने जैसा है। उन्होंने इसे “गंभीर रूप से खेदजनक और प्रतिगामी कदम” बताया।
थरूर ने इस विधेयक के खिलाफ तीन प्रमुख आपत्तियां गिनाईं। पहली, उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार ने गारंटीड रोजगार के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 करने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन इसके साथ कई शर्तें और प्रतिबंध जोड़ दिए गए हैं, जिससे इसका वास्तविक लाभ सीमित हो सकता है। दूसरी आपत्ति यह है कि इस योजना के तहत कुल वित्तीय बोझ का 40 प्रतिशत राज्यों पर डालने का प्रस्ताव है, जिससे गरीब और संसाधन-विहीन राज्यों पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा और संघीय ढांचे की भावना कमजोर होगी।
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तीसरी अहम आपत्ति कृषि मौसम के दौरान काम पर रोक से जुड़ी है। थरूर का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में यही वह समय होता है जब लोगों को अतिरिक्त आय की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। ऐसे में काम रोकना व्यावहारिक नहीं है और इससे ग्रामीण आजीविका पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि प्रस्तावित विधेयक में वित्तीय और नौकरशाही पुनर्संरचना के नाम पर केंद्र का नियंत्रण बढ़ाया जा रहा है, जो मूल मनरेगा योजना की विकेंद्रीकृत और संघीय भावना के विपरीत है। उनके अनुसार, यह बदलाव न सिर्फ योजना की प्रभावशीलता को कमजोर करेगा, बल्कि राज्यों की भूमिका को भी सीमित करेगा।
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