मुंबई के प्रतिष्ठित सेंट जेवियर्स कॉलेज ने एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के विरोध के बाद स्टान स्वामी मेमोरियल लेक्चर रद्द कर दिया है, जिसे लेकर शिक्षाविदों और समाज के कई वर्गों में गहरा दुख और चिंता का माहौल बन गया है।
एबीवीपी ने इस मेमोरियल लेक्चर पर आपत्ति जताई क्योंकि उनका कहना था कि यह कार्यक्रम ऐसे व्यक्ति की महिमा मंडन करता है, जिस पर ‘देशविरोधी साजिशों’ में शामिल होने के आरोप लगे थे। हालांकि, स्टान स्वामी, जो आदिवासी अधिकारों के लिए काम करने वाले प्रसिद्ध जेसुइट पुजारी और सामाजिक कार्यकर्ता थे, उन पर लगे आरोप कभी साबित नहीं हो सके।
शिक्षाविदों ने कहा कि स्टान स्वामी पर लगे आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित थे और वे हमेशा अपने समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ते रहे। वे 2021 में मुंबई की राज्य हिरासत में रहते हुए निधन हो गए थे, और उनकी मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
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इस फैसले को लेकर कई शिक्षाविदों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और छात्रों ने चिंता जताई है कि इससे स्वतंत्रता और विचार की आज़ादी को चोट पहुंचेगी। उनका मानना है कि मेमोरियल लेक्चर जैसे कार्यक्रम समाज में संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दों पर संवाद को बढ़ावा देते हैं।
एबीवीपी के इस विरोध ने भारत में राजनीतिक वातावरण की वर्तमान स्थिति पर भी सवाल उठाए हैं, जहां विरोधी विचारों को दबाने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।
कुल मिलाकर, स्टान स्वामी मेमोरियल लेक्चर की रद्दी से न केवल एक विचार मंच छिन गया है, बल्कि सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण आवाज़ भी दबाई गई है। यह घटना देश में विचारों की बहुलता और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के लिए एक चुनौती है।
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