सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (3 दिसंबर 2025) को राजस्थान के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता महेश जोशी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दे दी। यह मामला जल जीवन मिशन योजना में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है।
न्यायमूर्ति दीपंकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसिह की खंडपीठ ने जोशी द्वारा दायर उस अपील पर फैसला सुनाया, जिसमें उन्होंने राजस्थान हाई कोर्ट के अगस्त 2025 के आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया।
70 वर्षीय महेश जोशी को कुछ महीने पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत हिरासत में लिया था। बताया जाता है कि जयपुर स्थित ईडी कार्यालय में लगभग सात से आठ घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
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ईडी का यह मामला राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा दर्ज की गई उस FIR पर आधारित है, जिसमें जल जीवन मिशन (JJM) परियोजना के क्रियान्वयन में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। इस योजना का उद्देश्य हर घर में सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
राजस्थान में इस योजना का क्रियान्वयन लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHE) द्वारा किया जा रहा था, जिसमें महेश जोशी पिछली अशोक गहलोत सरकार में मंत्री थे। ACB और ED दोनों एजेंसियों ने इस बात की जांच की कि क्या ठेकों के आवंटन और परियोजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार या वित्तीय गड़बड़ी हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद जोशी की कानूनी टीम को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने माना कि मौजूदा परिस्थितियों में उन्हें जमानत दी जा सकती है, जबकि मामले की जांच जारी रहेगी।
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