सुप्रीम कोर्ट ने सर्दियों के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों पर बढ़ती दुर्घटनाओं को लेकर गंभीर चिंता जताई है। सोमवार (15 दिसंबर, 2025) को अदालत ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) का ध्यान इस ओर दिलाया कि सर्दियों के अंधेरे महीनों में लंबे हिस्सों पर स्ट्रीट लाइट की कमी, सड़कों पर बेतरतीब खड़े वाहन और खराब दृश्यता जानलेवा साबित हो रही है। अदालत ने हाल ही में तेलंगाना और राजस्थान में हुई भयावह सड़क दुर्घटनाओं का भी उल्लेख किया, जिनमें लगभग 40 लोगों की जान चली गई, जिनमें कई बच्चे शामिल थे।
न्यायमूर्ति जे.के. महेश्वरी और विजय बिश्नोई की पीठ ने कहा कि सर्दियों में कोहरा, अंधेरा और अव्यवस्थित ट्रैफिक प्रबंधन हाईवे को “डेथ ट्रैप” में बदल देता है। पीठ NHAI द्वारा दायर हलफनामे से संतुष्ट नहीं दिखी। न्यायमूर्ति महेश्वरी ने कहा कि हलफनामे में स्थानीय प्रशासन और पुलिस को जिम्मेदार ठहराया गया है, जबकि अदालत इस मामले को प्रतिकूल मुकदमेबाजी के रूप में नहीं, बल्कि समस्या के समाधान की दिशा में देखना चाहती है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि उसका उद्देश्य दोषारोपण नहीं, बल्कि ठोस और व्यावहारिक समाधान तलाशना है ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि सड़क सुरक्षा के लिए बेहतर प्रकाश व्यवस्था, अवैध पार्किंग पर सख्ती, चेतावनी संकेतों की उपलब्धता और समन्वित प्रशासनिक कार्रवाई जरूरी है।
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पीठ ने NHAI से अपेक्षा जताई कि वह सर्दियों के मौसम को ध्यान में रखते हुए राजमार्गों पर सुरक्षा उपायों को मजबूत करे और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस योजना प्रस्तुत करे। अदालत ने कहा कि हर जान की कीमत है और सड़क सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
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