सुप्रीम कोर्ट ने कफ सिरप से होने वाली मौतों के मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता का तर्क था कि राज्यों द्वारा मामले की जांच में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, और इस कारण “कीमती समय” व्यर्थ जा रहा है।
याचिका में कहा गया कि कई बच्चों की मौतें कफ सिरप के सेवन के बाद हुई हैं और यह मामला अत्यंत संवेदनशील है। याचिकाकर्ता ने न्यायालय से आग्रह किया कि मामले की जांच में तेजी लाने और जिम्मेदारों को दंडित करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को निर्देश दिए जाएं।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वर्तमान में मामले की जांच राज्यों के अधीन है और न्यायालय को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि राज्य सरकारें और संबंधित एजेंसियां अपने निर्धारित अधिकार क्षेत्र में इस मामले की जांच कर रही हैं।
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विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय जांच प्रक्रिया पर पूरी तरह भरोसा करने और राज्यों को स्वतंत्र रूप से जांच संपन्न करने का संकेत देता है। हालांकि, याचिकाकर्ता और प्रभावित परिवारों की चिंता बनी हुई है कि बच्चों की मौतों के मामलों में उचित कार्रवाई समय पर हो।
इस मामले ने देशभर में कफ सिरप की सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण पर बहस को तेज कर दिया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि बच्चों के लिए दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करना प्राथमिकता होनी चाहिए और संबंधित सरकारी एजेंसियों को इसके लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।
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