नई दिल्ली, 6 अगस्त 2025:
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि अनाथ बच्चों को 'वंचित समूह' के तहत माना जाए और उन्हें शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 के तहत आरक्षित 25% सीटों में प्रवेश का अधिकार दिया जाए।
इस फैसले से अब अनाथ बच्चों को सरकारी सहायता प्राप्त, निजी (unaided) और विशेष श्रेणी के स्कूलों में प्राथमिक कक्षाओं में आरक्षण के तहत दाखिला मिल सकेगा।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि भारत सरकार 2027 में होने वाली राष्ट्रीय जनगणना में अनाथ बच्चों को एक अलग श्रेणी (separate column) में दर्ज करने की व्यवस्था करे।
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कोर्ट का निर्देश:
- अनाथ बच्चे अब RTE अधिनियम के अंतर्गत "वंचित समूह" की श्रेणी में होंगे।
- स्कूलों को 25% आरक्षित सीटों में इन्हें प्राथमिकता देनी होगी।
- केंद्र सरकार को 2027 की जनगणना में इन बच्चों को गिनने की विशेष व्यवस्था करनी चाहिए।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि,
“राज्य का यह संवैधानिक दायित्व है कि वह समाज के सबसे कमजोर और असहाय वर्गों को गरिमा और समान अवसर प्रदान करे।”
सामाजिक प्रभाव:
यह निर्णय देशभर के लाखों अनाथ बच्चों के लिए शिक्षा और पुनर्वास की दिशा में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
बाल अधिकार कार्यकर्ताओं और NGO संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे एक सकारात्मक सामाजिक बदलाव की शुरुआत बताया है।
अब देखने वाली बात होगी कि राज्य सरकारें और स्कूल प्रबंधन इस आदेश को जमीनी स्तर पर कितनी प्रभावी तरीके से लागू करते हैं।
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