सुप्रीम कोर्ट ने अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर निचली अदालत को किसी भी तरह का संज्ञान लेने से फिलहाल रोक दिया है। अदालत ने यह भी सुनिश्चित किया कि प्रोफेसर महमूदाबाद के वकीलों को चार्जशीट की प्रति उपलब्ध कराई जाए, ताकि वे मामले की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकें।
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक वह इस मामले की आगे की कार्यवाही पर विचार नहीं कर लेती, तब तक निचली अदालत कोई कदम नहीं उठाएगी। अदालत का यह अंतरिम आदेश प्रोफेसर महमूदाबाद द्वारा दायर की गई याचिका पर आया, जिसमें उन्होंने चार्जशीट और संबंधित कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी।
प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद अशोका विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं और उनके खिलाफ कुछ गंभीर आरोप लगाते हुए चार्जशीट दाखिल की गई थी। हालांकि, उनके वकीलों का कहना है कि यह मामला राजनीतिक और व्यक्तिगत द्वेष से प्रेरित है तथा इन आरोपों में कोई ठोस आधार नहीं है।
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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने यह भी कहा कि चार्जशीट की प्रतियां याचिकाकर्ता पक्ष को समय पर मिलनी चाहिए ताकि उन्हें अपने बचाव का पूरा अवसर मिल सके।
इस अंतरिम आदेश से प्रोफेसर महमूदाबाद को फिलहाल राहत मिली है, क्योंकि निचली अदालत को कोई भी दंडात्मक कार्रवाई या आगे की प्रक्रिया शुरू करने से रोक दिया गया है। मामला अब सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई तक लंबित रहेगा।
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