सुप्रीम कोर्ट 3 नवंबर 2025 को देशभर में आवारा कुत्तों से जुड़े मामले की सुनवाई करेगा। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर) के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया है। यह मामला न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन.वी. अंजनिया की तीन-न्यायाधीशों की विशेष पीठ के समक्ष आएगा।
27 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि 22 अगस्त के उसके आदेश के बावजूद अधिकांश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अनुपालन हलफनामे दाखिल नहीं किए हैं। अदालत ने यह भी कहा कि उसके आदेशों के प्रति “सम्मान की कमी” दिखाई दे रही है, इसलिए सभी मुख्य सचिवों को अदालत में उपस्थित होना होगा।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से अनुरोध किया था कि मुख्य सचिवों को वर्चुअली उपस्थित होने की अनुमति दी जाए, परंतु पीठ ने इसे अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर लगातार घटनाएं हो रही हैं और इससे देश की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावित हो रही है।
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22 अगस्त के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियमों के अनुपालन पर जानकारी मांगी थी। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि नगर निकाय अपने पास मौजूद संसाधनों जैसे डॉग पाउंड, पशु चिकित्सक, कुत्ते पकड़ने वाले कर्मचारी और वाहनों की स्थिति का पूरा ब्यौरा हलफनामे में प्रस्तुत करें।
यह मामला 28 जुलाई को स्वतः संज्ञान के रूप में शुरू किया गया था, जब मीडिया रिपोर्टों में दिल्ली और अन्य जगहों पर आवारा कुत्तों के काटने से बच्चों में रेबीज के बढ़ते मामलों का उल्लेख किया गया था।
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