सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (17 नवंबर 2025) को उत्तराखंड सरकार को कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में हुए पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई करने का सख्त आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि रिज़र्व क्षेत्र में अवैध पेड़ कटाई और गैरकानूनी निर्माण कार्यों से हुए नुकसान को राज्य सरकार को अनिवार्य रूप से ठीक करना होगा। यह आदेश उस समय आया है जब सीबीआई कॉर्बेट में लगभग 3,000 पेड़ों की अवैध कटाई की जांच कर रही है।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की जगह अब मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में विशेषज्ञ समिति द्वारा पहचाने गए सभी अवैध निर्माणों को तीन महीने के भीतर ध्वस्त करने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार को केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) से परामर्श करके दो महीने के भीतर कॉर्बेट रिज़र्व के पुनर्स्थापन की विस्तृत योजना जमा करनी होगी।
कोर्ट ने स्पष्ट किया, “उत्तराखंड को CEC की निगरानी और मार्गदर्शन में कॉर्बेट रिज़र्व को उसकी मूल पर्यावरणीय अवस्था में बहाल करना होगा।”
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इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने टाइगर रिज़र्व के बफ़र और फ्रिंज क्षेत्रों में गतिविधियों को लेकर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए। इनमें शामिल हैं—
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टाइगर वाले राज्यों को मजबूत संरक्षण योजनाएँ बनानी होंगी।
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रिज़र्व क्षेत्रों के प्रबंधन की जिम्मेदारी फील्ड डायरेक्टरों के अधीन लानी होगी।
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रिज़र्व के बेहद समीप बने रिसॉर्ट्स की वैधता की समीक्षा की जाए।
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शोर प्रदूषण पर नियंत्रण को प्राथमिकता दी जाए।
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सफारी के लिए पेट्रोल-डीजल वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जाए।
यह मामला अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया, जिसमें अवैध पेड़ कटान और वन्यजीव संरक्षण कानून तथा वन संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन का मुद्दा उठाया गया था।
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