केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी के एक बयान ने केरल की राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। त्रिशूर में एक टाउन हॉल बैठक के दौरान गोपी ने दावा किया कि केरल में चुनावों में ‘25 साल से मृत शवों’ के नाम से वोट डाले जा रहे हैं और इस तरह के मतदान से चुने गए लोग राज्य को धोखा दे रहे हैं।
गोपी ने कहा कि यह गंभीर मामला है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनका यह बयान राज्य में चुनावी प्रक्रिया और प्रशासनिक निगरानी पर सवाल उठाता है। मंत्री के अनुसार, ऐसे कथित अवैध मतदान से लोकतंत्र की नींव कमजोर हो रही है।
गोपी के इस बयान के बाद राज्य की सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस और वामपंथी दलों ने केंद्रीय मंत्री के आरोपों को निराधार और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित बताया है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग और प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय हैं।
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विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के बयान राजनीतिक वातावरण को भड़काने और मतदाता विश्वास पर असर डाल सकते हैं। इसके साथ ही, मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म पर भी इस बयान को लेकर बहस शुरू हो गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गोपी का बयान आगामी चुनावों को लेकर राजनीतिक माहौल को गर्म करने का प्रयास माना जा रहा है। हालांकि, चुनाव आयोग ने पहले ही स्पष्ट किया है कि मृतकों के नाम से वोटिंग करना संभव नहीं है और सभी मतदाता सूची का कड़ाई से सत्यापन किया जाता है।
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