सीरिया में असद शासन के पतन के बाद पहली संसदीय चुनाव का आयोजन हो रहा है, लेकिन कई नागरिक इस चुनाव से अनजान हैं। राजधानी और प्रमुख शहरों की मुख्य सड़कों और चौराहों पर किसी भी उम्मीदवार के पोस्टर नहीं लगे, न ही कोई रैलियां या सार्वजनिक बहसें आयोजित हुईं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि चुनाव प्रचार का माहौल लगभग अदृश्य रहा। अधिकांश नागरिकों ने चुनावी प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी नहीं पाई और उन्हें नहीं पता कि कौन-कौन उम्मीदवार मैदान में हैं। चुनाव के बारे में मीडिया कवरेज भी सीमित रहा।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति राजनीतिक अस्थिरता और लंबे समय तक चले युद्ध का परिणाम है। देश में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और स्वतंत्र बहस की संस्कृति कमजोर पड़ गई है। कई नागरिकों को लगता है कि चुनाव सरकार के नियंत्रण में है और वास्तविक राजनीतिक विकल्प सीमित हैं।
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समान रूप से, मतदान केंद्रों पर भी सांकेतिक व्यवस्था ही नजर आई। लोगों के लिए यह चुनाव नए सिरे से राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर हो सकता है, लेकिन जागरूकता की कमी इसे चुनौतीपूर्ण बना रही है।
अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि यदि चुनाव में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी नहीं हुई, तो इससे देश में लोकतांत्रिक मानकों और जनता की विश्वास की कमी को और बढ़ावा मिल सकता है।
इस चुनाव ने यह भी उजागर किया है कि युद्ध और अस्थिरता के वर्षों बाद समान और पारदर्शी चुनाव की आवश्यकता कितनी महत्वपूर्ण है।
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