तेलंगाना हाई कोर्ट ने हैदराबाद में हिरासत में लिए गए एक व्यक्ति के मामले में केंद्र सरकार को प्रक्रिया में तेजी लाने का आदेश दिया है। यह व्यक्ति भारतीय पासपोर्ट और बांग्लादेश के राष्ट्रीय पहचान पत्र दोनों के साथ पकड़ा गया था, जिससे उसकी पहचान और राष्ट्रीयता पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं।
सोमवार को, हाई कोर्ट ने बंदी के पिता द्वारा दायर की गई हैबियस कॉर्पस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि प्रस्तुत किए गए दस्तावेज़ी सबूत स्पष्ट रूप से इस बात की ओर संकेत करते हैं कि व्यक्ति की पहचान में विरोधाभास है। अदालत ने कहा कि जब राष्ट्रीयता को लेकर भ्रम है, तब ऐसी याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती।
न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य और न्यायमूर्ति गादी प्रवीण कुमार की खंडपीठ ने यह भी नोट किया कि विवादित व्यक्ति दो महीने से अधिक समय से हिरासत में है, जो गृह मंत्रालय के आंतरिक दिशा-निर्देशों में निर्धारित अवधि से काफी अधिक है। अदालत ने इस लंबी हिरासत पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह सत्यापन प्रक्रिया, जांच और संबंधित निर्णय को जल्द से जल्द पूरा करे।
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अदालत ने कहा कि व्यक्ति की दोहरी पहचान न केवल उसकी नागरिकता को संदिग्ध बनाती है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसलिए, सरकार का यह दायित्व है कि वह ऐसे मामलों में तेज, सटीक और पारदर्शी कार्रवाई सुनिश्चित करे।
हाई कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि विवादित दस्तावेज़ों में विरोधाभास होने के कारण व्यक्ति की नागरिकता पर स्पष्ट निर्णय आवश्यक है। अदालत ने MHA को कठोर शब्दों में सलाह दी कि वह देरी को खत्म कर प्रक्रिया को त्वरित रूप से आगे बढ़ाए, ताकि मामले का अंतिम निर्णय जल्द हो सके।
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