आतंकी फंडिंग मामले में आरोपी और विधायक इंजीनियर राशिद ने हाईकोर्ट में कहा कि अदालत की लगाई गई शर्तों के कारण वह अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं कर पा रहे हैं।
सुनवाई के दौरान इंजीनियर राशिद के वकील ने दलील दी कि अदालत द्वारा दी गई कस्टडी पैरोल की शर्तें इतनी सख्त हैं कि उनके मुवक्किल जनता से नहीं मिल पा रहे हैं और अपने क्षेत्र के विकास कार्यों में भाग नहीं ले पा रहे हैं। उन्होंने अदालत से शर्तों में ढील देने की मांग की।
हाईकोर्ट की पीठ ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जब किसी आरोपी को कस्टडी पैरोल दी जाती है, तो यह सामान्यत: उसकी निजी स्वतंत्रता की कीमत पर होती है। अदालत ने कहा कि पैरोल का उद्देश्य केवल जरूरी परिस्थितियों में ही रियायत देना होता है और यह पूरी स्वतंत्रता का विकल्प नहीं है।
और पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने ‘उंगलुडन स्टालिन’ योजना के नामकरण को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की, कहा – कानून का दुरुपयोग
राशिद, जो जम्मू-कश्मीर के एक निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं, आतंकी फंडिंग मामले में जेल में बंद हैं। उन पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता पहुंचाने का आरोप है। गिरफ्तारी के बाद से ही उनके निर्वाचन क्षेत्र में प्रतिनिधित्व का संकट बना हुआ है।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख तय करते हुए अभियोजन पक्ष और जेल प्रशासन से भी विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, ताकि यह तय किया जा सके कि क्या शर्तों में बदलाव संभव है।
और पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार ड्राफ्ट मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटाने पर ईसीआई से मांगा जवाब