सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एआईएडीएमके सांसद सी.वे. शन्मुगम की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें तमिलनाडु सरकार की ‘उंगलुडन स्टालिन’ योजना के नामकरण को चुनौती दी गई थी। अदालत ने इस याचिका को "गलत मंशा से दायर" और "कानून का दुरुपयोग" करार दिया।
शीर्ष अदालत की पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें राज्य सरकार को किसी भी जीवित व्यक्ति के नाम पर कल्याणकारी योजनाओं का नामकरण करने से रोकने के लिए "व्यापक प्रतिबंध" लगाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे प्रतिबंध अनुचित हैं और सरकार को कल्याण योजनाओं का नामकरण करने का अधिकार है, जब तक कि यह किसी कानून का उल्लंघन न करे।
याचिकाकर्ता का आरोप था कि ‘उंगलुडन स्टालिन’ (आपके साथ स्टालिन) योजना का नाम राजनीतिक लाभ के लिए रखा गया है और यह लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह केवल राजनीतिक आरोप है और इसके समर्थन में कोई ठोस संवैधानिक आधार नहीं है।
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अदालत ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका का समय ऐसे मामलों में बर्बाद नहीं होना चाहिए, जिनमें स्पष्ट रूप से कानून का दुरुपयोग किया गया हो। साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि कल्याण योजनाओं का नाम किसी जीवित व्यक्ति के नाम पर रखना असंवैधानिक नहीं है, जब तक कि इसका उद्देश्य सार्वजनिक हित से जुड़ा हो।
इस फैसले को तमिलनाडु सरकार के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है, क्योंकि ‘उंगलुडन स्टालिन’ योजना राज्य में एक प्रमुख सामाजिक कल्याण कार्यक्रम है।
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