पश्चिम बंगाल की ड्राफ्ट मतदाता सूची में खुद को “मृत” घोषित किए जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक पार्षद ने मंगलवार को कोलकाता के एक श्मशान घाट पहुंचकर अपने अंतिम संस्कार की मांग कर डाली। पार्षद का कहना है कि चुनाव आयोग ने उन्हें मृत मतदाताओं की सूची में शामिल कर दिया है, जबकि वह पूरी तरह जीवित हैं।
दरअसल, पश्चिम बंगाल की ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होने से पहले बूथवार मृत और स्थानांतरित मतदाताओं की सूची सार्वजनिक की गई थी। इसी सूची में डानकुनी नगर पालिका के वार्ड नंबर 18 से टीएमसी पार्षद सूर्य डे का नाम कथित तौर पर “मृत” के रूप में दर्ज पाया गया। सूर्य डे ने बताया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के तहत उन्होंने गणना प्रपत्र भरा था और सभी जरूरी दस्तावेज बूथ स्तर अधिकारी को जमा कराए थे, इसके बावजूद उनका नाम हटा दिया गया।
श्मशान घाट पहुंचकर The Indian Witness से बातचीत में सूर्य डे ने कहा, “जब आयोग ने मुझे कागजों में मृत घोषित कर दिया है, तो प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए। अधिकारी आएं और मेरा दाह संस्कार करें।” उन्होंने इसे प्रशासनिक बेतुकापन बताते हुए कहा कि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
और पढ़ें: बंगाल में SIR ड्राफ्ट सूची जारी: 58 लाख से अधिक नाम हटे, चुनाव से पहले सियासी घमासान तेज
उन्होंने कहा, “मैं एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि हूं। अगर मुझे जिंदा रहते हुए कागजों में मृत दिखाया जा सकता है, तो आम मतदाताओं के साथ क्या हो सकता है, इसकी कल्पना कीजिए।” सूर्य डे ने इस पूरे मामले के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे एक “साजिश” करार दिया।
यह मामला तेजी से सोशल मीडिया तक पहुंच गया। टीएमसी प्रवक्ता अरूप चक्रवर्ती ने फेसबुक पर लिखा कि वार्ड 18 के पार्षद सूर्य डे को मतदाता सूची में मृत दिखाया गया है और सवाल उठाया कि यह एसआईआर है या मज़ाक। हालांकि, चुनाव आयोग ने अभी तक इस आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब चुनाव आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया के बाद पश्चिम बंगाल की ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की है, जिसमें मौत, पलायन, दोहराव और प्रपत्र न जमा करने जैसे कारणों से 58 लाख से अधिक नाम हटाए गए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मतदाताओं की संख्या 7.66 करोड़ से घटकर 7.08 करोड़ रह गई है।
श्मशान घाट में खड़े होकर सूर्य डे ने कहा, “मैं खुद चलकर यहां आया हूं। मैं सांस ले रहा हूं, बोल रहा हूं और विरोध कर रहा हूं। अगर मतदाताओं के साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है, तो लोकतंत्र को ही चिता पर चढ़ाया जा रहा है।”
और पढ़ें: बंगाल ने राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला — फडणवीस का आरोप, तृणमूल का पलटवार