त्रिणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसदों ने मंगलवार (9 दिसंबर 2025) को संसद के सेंट्रल हॉल में एक मौन प्रदर्शन किया। यह विरोध प्रदर्शन भाजपा द्वारा बंगाल के महान साहित्यकारों—रवींद्रनाथ टैगोर और बंकिम चंद्र चटर्जी—का “अपमान” किए जाने के आरोप के चलते आयोजित किया गया। सांसद सेंट्रल हॉल में चटर्जी और टैगोर के चित्र लेकर मौन बैठे रहे और बाद में संविधान सदन के मुख्य द्वार पर खड़े होकर अपना विरोध दर्ज कराया।
यह प्रदर्शन उस दिन के तुरंत बाद हुआ जब लोकसभा में “वंदे मातरम्” के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर विशेष चर्चा की गई थी, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी।
राज्यसभा में टीएमसी की उपनेता सागरिका घोष ने कहा, “आज टीएमसी के लोकसभा व राज्यसभा सांसदों ने संसद के सेंट्रल हॉल में मौन प्रदर्शन किया। हम गहरे दुख और रोष के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि कल वंदे मातरम् बहस के दौरान स्वयं प्रधानमंत्री ने बंगाल के साहित्य सम्राट बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय और हमारे महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर का अपमान किया।”
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उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल की संस्कृति, उसके प्रतीक और उसके पुनर्जागरण के स्तंभों को “बदनाम और नीचा दिखाने का प्रयास” किया गया। उन्होंने कहा, “बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय बंगाल पुनर्जागरण की महान विभूति हैं। उनकी रचना ‘आनंदमठ’ से ही वंदे मातरम् लिया गया है।”
घोष ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा उनके नाम का गलत उच्चारण और टैगोर की विरासत को गलत संदर्भ में प्रस्तुत करना बंगाल के लोगों के लिए गहरी चोट है। टीएमसी ने मांग की कि प्रधानमंत्री मोदी को बंगाल के लोगों से इसके लिए माफी माँगनी चाहिए।
विवाद तब बढ़ा जब टीएमसी ने आरोप लगाया कि लोकसभा बहस के दौरान पीएम मोदी ने चट्टोपाध्याय को “बंकिम दा” कहकर संबोधित किया। वरिष्ठ टीएमसी सांसद सौगत राय ने कहा कि उन्हें “बंकिम बाबू” कहा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने तुरंत यह भाव स्वीकार करते हुए कहा, “मैं बंकिम बाबू कहूँगा। आपकी भावना का सम्मान करता हूँ,” और मजाक में पूछा कि क्या वे राय को “दादा” कह सकते हैं।
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