रांची में आदिवासी संगठनों ने एक कथित एनकाउंटर में हंसदा नामक युवक की मौत के विरोध में कैंडल मार्च निकालने की घोषणा की है। यह मार्च न्यायिक जांच की मांग और एनकाउंटर की सच्चाई सामने लाने के लिए आयोजित किया जा रहा है।
हंसदा को 10 अगस्त को देवघर जिले के नवाडीह गांव से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के अनुसार, उसे छिपाए गए हथियार बरामद करने के लिए रहदबाड़िया पहाड़ियों की ओर ले जाया जा रहा था, तभी मुठभेड़ हुई और उसकी मौत हो गई।
पुलिस का दावा है कि हंसदा ने हथियारों का जखीरा छिपाने की बात स्वीकार की थी और टीम को मौके पर ले जाते समय उसने भागने की कोशिश की। इसी दौरान पुलिस को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। हालांकि, मृतक के परिवार और आदिवासी संगठनों ने इस दावे को खारिज कर दिया है। उनका आरोप है कि यह एनकाउंटर फर्जी है और हंसदा को हिरासत में ही मार दिया गया।
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आदिवासी नेताओं ने कहा कि इस घटना ने समुदाय के बीच गहरी नाराज़गी पैदा कर दी है। उनका कहना है कि पुलिस लगातार आदिवासी युवकों को निशाना बना रही है और उन्हें बिना किसी सबूत के अपराधी करार दे रही है।
कैंडल मार्च के दौरान मृतक हंसदा को श्रद्धांजलि दी जाएगी और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जाएगी। आदिवासी संगठन इस मुद्दे को राज्यपाल और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक ले जाने की भी योजना बना रहे हैं।
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