भारत में एक जनजातीय युवा पिछले आठ वर्षों से पिछड़े वर्गों के लिए उच्च शिक्षा को सुलभ बनाने के लिए काम कर रहा है। टीआईएसएस (TISS) का यह पूर्व छात्र अब तक लगभग पांच लाख वंचित युवाओं तक पहुंच चुका है। इस प्रयास के माध्यम से उसने 2000 आदिवासी और दलित युवाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने और अपने करियर को सशक्त बनाने में मदद की है।
युवक ने बताया कि उसका उद्देश्य सिर्फ शिक्षा देना नहीं है, बल्कि समाज में समान अवसर सुनिश्चित करना है। उसने कई कार्यशालाओं, मार्गदर्शन कार्यक्रमों और छात्रवृत्ति योजनाओं के जरिए युवाओं को उनके शैक्षणिक सपनों को पूरा करने में मदद की है। यह पहल भारत के पिछड़े और हाशिए पर रहने वाले समुदायों में शिक्षा के माध्यम से सशक्तिकरण का एक उदाहरण है।
हालांकि, इस पहल को जारी रखने के लिए अब उसे अतिरिक्त समर्थन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वित्तीय संसाधनों, प्रशासनिक मदद और सामाजिक समर्थन के बिना इस मिशन को बनाए रखना कठिन हो सकता है। उनका मानना है कि अगर सरकार, संस्थान और समाज मिलकर सहयोग करें, तो लाखों और युवाओं को लाभ पहुंचाया जा सकता है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे युवा समाज में बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। शिक्षा और मार्गदर्शन के माध्यम से वे पिछड़े वर्गों को सशक्त बना सकते हैं और सामाजिक समानता के लिए सकारात्मक योगदान दे सकते हैं।
इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि केवल सरकारी प्रयासों से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और व्यक्तिगत प्रयासों से भी शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव संभव हैं।
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