विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने स्पष्ट किया है कि मनोविज्ञान, पोषण विज्ञान और अन्य हेल्थकेयर से जुड़े कोर्स अब डिस्टेंस लर्निंग या ऑनलाइन मोड में संचालित नहीं किए जा सकेंगे। यह आदेश राष्ट्रीय संबद्ध एवं स्वास्थ्य देखभाल पेशे अधिनियम (NCAHP) 2021 के अंतर्गत आने वाले सभी पाठ्यक्रमों पर लागू होगा।
यूजीसी के अनुसार, जिन कोर्सों पर यह प्रतिबंध लागू होगा उनमें मनोविज्ञान, माइक्रोबायोलॉजी, फूड एंड न्यूट्रिशन साइंस, बायोटेक्नोलॉजी, क्लिनिकल न्यूट्रिशन और डाइटेटिक्स जैसे विषय शामिल हैं। आयोग का कहना है कि इन विषयों के अध्ययन में प्रायोगिक प्रशिक्षण, क्लिनिकल एक्सपोज़र और प्रयोगशाला कार्य आवश्यक है, जिसे केवल भौतिक उपस्थिति में ही गुणवत्तापूर्ण तरीके से संचालित किया जा सकता है।
यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों, संस्थानों और मान्यता प्राप्त केंद्रों को निर्देश दिया है कि वे तत्काल प्रभाव से ऐसे सभी कोर्सों को ऑनलाइन या डिस्टेंस मोड में पेश करना बंद करें। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन क्षेत्रों में पढ़ाई करने वाले छात्रों को व्यावहारिक अनुभव के लिए अस्पतालों, क्लिनिकों और प्रयोगशालाओं में अनिवार्य प्रशिक्षण दिलाना जरूरी है, जो केवल ऑफलाइन माध्यम से ही संभव है।
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शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला गुणवत्ता सुनिश्चित करने और स्वास्थ्य क्षेत्र में पेशेवर दक्षता बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है। यूजीसी का मानना है कि यदि इन कोर्सों को दूरस्थ शिक्षा या ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाया गया, तो छात्रों को आवश्यक व्यावहारिक कौशल नहीं मिल पाएंगे, जिससे उनके पेशेवर प्रदर्शन पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब देशभर में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन यूजीसी का कहना है कि व्यावहारिक प्रकृति वाले कोर्सों के लिए पारंपरिक कक्षा और लैब आधारित पढ़ाई ही सबसे उपयुक्त है।
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