स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के मसौदा पाठ्यक्रम ढांचे को “आदिम और अवैज्ञानिक” करार दिया है। संगठन ने आरोप लगाया कि यह ढांचा शिक्षा को केसरिया रंग देने का प्रयास है।
SFI ने अपने बयान में कहा कि नए मसौदे में स्वतंत्रता संग्राम के अध्ययन के अंतर्गत विनायक दामोदर सावरकर को शामिल करना और रसायन विज्ञान पाठ्यक्रम की शुरुआत में देवी सरस्वती को नमन करना शैक्षणिक ढांचे को “हिंदुत्व के नजरिये” से प्रभावित करने की कोशिश है। संगठन के अनुसार, यह कदम शैक्षणिक स्वतंत्रता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विपरीत है।
छात्र संगठन ने आरोप लगाया कि यह पाठ्यक्रम मसौदा उच्च शिक्षा को तर्क और अनुसंधान से दूर ले जाने वाला है। उन्होंने कहा कि यह “शिक्षा के भगवाकरण को तेज करने का प्रयास” है और इससे अकादमिक जगत में विविधता और आलोचनात्मक सोच कमजोर होगी।
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SFI ने यह भी कहा कि पाठ्यक्रम तैयार करने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही और विशेषज्ञों, शिक्षकों और छात्रों से पर्याप्त परामर्श नहीं लिया गया। संगठन ने यूजीसी से तुरंत इस मसौदे को वापस लेने और व्यापक चर्चा के बाद नया ढांचा तैयार करने की मांग की।
SFI के मुताबिक, स्वतंत्रता संग्राम जैसे विषय को वैचारिक दृष्टि से प्रभावित करना न केवल इतिहास के साथ अन्याय है, बल्कि युवाओं के लिए गलत उदाहरण भी पेश करता है।
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