यूक्रेन और अमेरिका जल्द ही स्विट्ज़रलैंड में मुलाकात कर रूस के साथ चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए वॉशिंगटन की नई शांति योजना पर चर्चा करेंगे। यह जानकारी कीव ने शनिवार (22 नवंबर 2025) को दी। इस योजना में रूस की कुछ कठोर शर्तों को भी शामिल किया गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को लगभग चार साल से जारी युद्ध समाप्त करने के लिए अपनी 28-सूत्रीय योजना को मंज़ूरी देने के लिए एक सप्ताह से भी कम समय दिया है। इस योजना में यूक्रेन को कुछ क्षेत्रों को छोड़ने, अपनी सेना घटाने और कभी भी NATO में शामिल न होने की प्रतिबद्धता शामिल है।
उधर, G20 शिखर सम्मेलन के दौरान यूक्रेन के यूरोपीय सहयोगी, जिन्हें इस योजना के मसौदे में शामिल नहीं किया गया था, ट्रंप की शर्तों का विकल्प तैयार करने में जुटे हैं। यूक्रेन के वार्ताकार रुस्तम उमेरोव ने कहा कि आने वाले दिनों में स्विट्ज़रलैंड में दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी संभावित शांति समझौते के ढांचे पर बातचीत शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि यह हालिया संवाद को आगे बढ़ाने का अगला चरण है।
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यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के शीर्ष सलाहकार आंद्रिय यरमाक इस वार्ता टीम का नेतृत्व करेंगे। वार्ता में रूस के प्रतिनिधियों को भी शामिल करने का प्रस्ताव है, हालांकि मॉस्को की ओर से इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
G20 नेताओं ने संयुक्त घोषणा में यूक्रेन, सूडान, कांगो और फिलिस्तीनी क्षेत्रों में "न्यायपूर्ण और स्थायी शांति" की आवश्यकता पर जोर दिया। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि G20 वैश्विक संकटों को हल करने में संघर्ष कर रहा है और यह समूह एक “चक्र के अंत” की ओर बढ़ सकता है।
यूक्रेन इस समय बेहद कठिन दौर से गुजर रहा है। ज़ेलेंस्की ने कहा कि ट्रंप की योजना यूक्रेन को “गरिमा खोने या प्रमुख सहयोगी खोने” के बीच कठिन चुनाव करने के लिए मजबूर कर सकती है।
अमेरिकी योजना के अनुसार, रूस के कब्ज़े वाले क्षेत्रों को “डी फैक्टो” रूसी मान लिया जाएगा। यूक्रेन को 6 लाख सैनिकों की सीमा माननी होगी और NATO सैनिकों की तैनाती नहीं हो सकेगी। इसके बदले में सुरक्षा गारंटी और पुनर्निर्माण के लिए फंड देने की बात कही गई है। रूस को वैश्विक अर्थव्यवस्था में फिर से शामिल करने की भी संभावना है।
इस बीच, रूसी सेना धीरे-धीरे मोर्चे पर बढ़त बना रही है और यूक्रेन एक बेहद कठोर सर्दी का सामना कर रहा है, क्योंकि रूसी हमलों ने उसकी ऊर्जा संरचना को भारी नुकसान पहुंचाया है। इसी समय ऊर्जा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर होने से कीव में जन नाराज़गी बढ़ गई है।
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