मध्यप्रदेश की राजनीति में उस समय नया विवाद खड़ा हो गया जब विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने एक बयान देते हुए कहा कि "आदिवासी हिंदू नहीं हैं"। उनके इस कथन ने सियासी हलकों में गरमाहट बढ़ा दी है।
सिंघार का यह बयान कांग्रेस की आदिवासी राजनीति और पार्टी की रणनीति के संदर्भ में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की अपनी अलग पहचान, परंपराएं और धार्मिक मान्यताएं हैं, जिन्हें हिंदू धर्म के अंतर्गत नहीं रखा जा सकता।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा विधायक रमेश्वर शर्मा ने तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सिंघार का यह बयान देश की जनता को आहत करने वाला है। शर्मा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता यह बयान देकर सोनिया गांधी को खुश करना चाहते हैं, लेकिन इससे भारत की जनता में गुस्सा पैदा होगा।
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भाजपा का कहना है कि सिंघार का यह बयान न केवल आदिवासी समाज का अपमान है, बल्कि यह राष्ट्र की एकता और अखंडता पर भी चोट करता है। उन्होंने कांग्रेस पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया।
वहीं, कांग्रेस खेमे में सिंघार के बयान को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ नेता इसे आदिवासियों की सांस्कृतिक पहचान को रेखांकित करने वाला बयान मान रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि इससे राजनीतिक नुकसान हो सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आदिवासी समाज को लेकर दोनों प्रमुख दल – भाजपा और कांग्रेस – में लंबे समय से खींचतान चल रही है। ऐसे में सिंघार का यह बयान आगामी चुनावों के संदर्भ में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
यह विवाद आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश की राजनीति में और भी गहराई से गूंज सकता है।
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