अमेरिकी अपील अदालत ने सोमवार (20 अक्टूबर, 2025) को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ओरेगन के पोर्टलैंड शहर में नेशनल गार्ड सैनिक भेजने की अनुमति दे दी है। यह फैसला ट्रंप प्रशासन के लिए एक बड़ी कानूनी जीत मानी जा रही है, क्योंकि शहर और राज्य के नेताओं ने इस कदम का कड़ा विरोध किया था।
तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने उस निचली अदालत के आदेश को स्थगित कर दिया जिसने फिलहाल सैनिकों की तैनाती पर रोक लगा दी थी। अदालत ने कहा कि प्रदर्शनकारियों द्वारा संघीय भवन को नुकसान पहुँचाने और अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) अधिकारियों को धमकाने के बाद नेशनल गार्ड की तैनाती एक उचित प्रतिक्रिया थी।
यह निर्णय न्यायाधीश ब्रिजेट बेड और रायन नेल्सन ने दिया, जो दोनों ट्रंप द्वारा पहले कार्यकाल में नियुक्त किए गए थे। नेल्सन ने अपनी सहमति में लिखा कि अदालतों को राष्ट्रपति के सैनिक भेजने के निर्णय की समीक्षा करने का अधिकार नहीं है। वहीं, डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति बिल क्लिंटन द्वारा नियुक्त न्यायाधीश सुसान ग्रेबर ने असहमति जताते हुए कहा कि “सिर्फ असुविधाजनक” प्रदर्शनों के जवाब में सैनिक बुलाना “न केवल बेतुका बल्कि खतरनाक” है।
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ओरेगन के अटॉर्नी जनरल डैन रेफील्ड ने इस फैसले को “अमेरिका के लिए खतरनाक राह” बताते हुए पुनर्विचार की मांग की। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एबिगेल जैक्सन ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने संघीय संपत्तियों और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए वैध अधिकार का उपयोग किया।
ट्रंप ने 27 सितंबर को पोर्टलैंड में 200 नेशनल गार्ड सैनिक भेजने का आदेश दिया था, जिससे अमेरिकी शहरों में सेना की तैनाती का उनका अभियान और विस्तृत हो गया।
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