गुजरात के वडोदरा में पुल हादसे से जुड़ी एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। मुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि जिस पुल के गिरने से जुलाई में 22 लोगों की जान गई, उसका मई 2025 में हाल ही में निरीक्षण किया गया था। इसके बावजूद कुछ ही महीनों बाद पुल का ढह जाना गंभीर सवाल खड़े करता है।
सीएम ने विधानसभा में बताया कि तकनीकी टीम ने मई में पुल का औपचारिक निरीक्षण किया था और उस समय किसी बड़े खतरे का उल्लेख नहीं किया गया। लेकिन दो महीने बाद ही पुल का अचानक ध्वस्त हो जाना निरीक्षण प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर संदेह पैदा करता है।
इस हादसे में 22 लोगों की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे। राहत और बचाव कार्य घंटों तक चला था। घटना के बाद स्थानीय लोगों ने प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि पुल की मरम्मत और देखरेख में भारी अनियमितताएं बरती गईं।
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मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि इस हादसे की उच्चस्तरीय जांच की जा रही है और दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार पुलों और अन्य बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यापक निरीक्षण अभियान शुरू करेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है, बल्कि यह राज्य की अवसंरचना प्रबंधन प्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाती है। अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में कितनी सख्ती दिखाती है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाती है।
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