विश्व हिंदू परिषद (VHP) के अध्यक्ष आलोक कुमार ने मंगलवार, 9 दिसंबर 2025 को कहा कि आगामी जनगणना में “सभी लोग अपने धर्म को हिंदू के रूप में दर्ज करें।” वीएचपी की यह अपील उस समय सामने आई है जब समाज के कई वर्ग—विशेष रूप से आदिवासी समुदाय—अपने लिए अलग धर्म कोड की मांग कर रहे हैं।
वीएचपी का कहना है कि भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा का मूल आधार हिंदू धर्म है, और इसलिए सभी को जनगणना में अपने धर्म के रूप में हिंदू ही दर्ज करना चाहिए। संगठन का तर्क है कि सदियों से अलग-अलग समुदाय, परंपराएं और जनजातियाँ व्यापक हिंदू सभ्यता का हिस्सा रही हैं, इसलिए उन्हें अलग धर्म कोड की आवश्यकता नहीं है।
आलोक कुमार ने कहा कि जनगणना एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्रक्रिया है और इसमें धर्म संबंधी आंकड़े देश की धार्मिक संरचना को समझने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। उनका कहना है कि यदि अत्यधिक विभाजन किया गया तो यह समाज में अनावश्यक धार्मिक श्रेणियां पैदा कर सकता है।
और पढ़ें: पश्चिम बंगाल: दस्तावेज़ों की कमी और पारिवारिक पहचान के बिना, सोनागाछी की सेक्स वर्करों में SIR प्रक्रिया को लेकर बढ़ी चिंता
दूसरी ओर, आदिवासी संगठनों और कुछ सामाजिक समूहों का कहना है कि उनकी आस्था, परंपराएं और रीति-रिवाज़ हिंदू धर्म से अलग हैं और इसलिए उनके लिए ‘सरना’ या किसी अन्य विशिष्ट पहचान को मान्यता दी जानी चाहिए। कई समुदायों ने अलग धर्म कोड की मांग को सांस्कृतिक संरक्षण का मुद्दा बताया है।
वीएचपी की यह अपील आने वाले दिनों में धर्म और पहचान पर बहस को और तेज कर सकती है। जहां एक तरफ संगठन सभी को हिंदू के रूप में एकजुट करने की बात कर रहा है, वहीं दूसरी ओर कई समूह अपनी विशिष्ट धार्मिक पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने के लिए संघर्षरत हैं।
आगामी जनगणना में इन विवादों का क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी।
और पढ़ें: अमेरिका ने जनवरी से अब तक 85,000 वीज़ा रद्द किए: ट्रंप प्रशासन की सख्त इमिग्रेशन नीति फिर सुर्खियों में