अगर कोई उप-राष्ट्रपति अपने पद से इस्तीफा देता है, तो भारतीय संविधान में इस स्थिति से निपटने के स्पष्ट प्रावधान मौजूद हैं। अनुच्छेद 67(b) के तहत उप-राष्ट्रपति स्वयं राष्ट्रपति को लिखित रूप में इस्तीफा देकर पद त्याग सकते हैं।
उप-राष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद संविधान के अनुच्छेद 68(2) के तहत छह महीने के भीतर नए उप-राष्ट्रपति का चुनाव कराना अनिवार्य होता है। इस प्रक्रिया को भारत के राष्ट्रपति की देखरेख में और चुनाव आयोग की सहायता से पूरा किया जाता है।
उप-राष्ट्रपति का चुनाव एक विशेष निर्वाचन मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों — लोकसभा और राज्यसभा — के निर्वाचित और नामित सदस्य शामिल होते हैं। यह चुनाव समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से होता है।
चुनाव आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी करता है और नामांकन, नाम वापसी, मतदान और मतगणना की प्रक्रिया संविधान और संबंधित चुनावी नियमों के अनुसार होती है।
जब तक नया उप-राष्ट्रपति नहीं चुना जाता, तब तक राज्यसभा के सभापति का कार्यभार डिप्टी चेयरपर्सन या वरिष्ठतम सदस्य को सौंपा जा सकता है, लेकिन उप-राष्ट्रपति का औपचारिक पद खाली माना जाता है।
इस प्रकार संविधान यह सुनिश्चित करता है कि सत्ता में कोई शून्यता न बने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया समय पर पूरी हो।