उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार (8 दिसंबर 2025) को राज्य के नागरिकों से अपील की कि वे सतर्क रहें और किसी भी व्यक्ति को काम पर रखने से पहले उसकी पहचान अवश्य सत्यापित करें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अवैध घुसपैठियों के खिलाफ कड़ी और निर्णायक कार्रवाई चला रही है ताकि सुरक्षा, सामाजिक संतुलन और कानून-व्यवस्था को मजबूत किया जा सके।
मुख्यमंत्री की यह अपील ऐसे समय आई है जब पिछले सप्ताह दिए गए उनके निर्देशों के बाद पूरे राज्य में घुसपैठियों के खिलाफ अभियान तेज हो गया है।
उन्होंने कहा, “माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अत्यंत महत्वपूर्ण टिप्पणी की है कि घुसपैठियों के लिए लाल कालीन नहीं बिछाया जा सकता। इससे स्पष्ट है कि किसी भी कीमत पर घुसपैठ स्वीकार्य नहीं है।”
उन्होंने कहा कि राज्य के संसाधन नागरिकों के हैं, न कि अवैध रूप से रह रहे लोगों के और सुरक्षा व सामाजिक संतुलन बनाए रखना उनकी सरकार की प्राथमिकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 दिसंबर को भारत में रह रहे रोहिंग्या समुदाय की कानूनी स्थिति पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि क्या जब देश के नागरिक गरीबी से जूझ रहे हों, तब “घुसपैठियों” का स्वागत किया जाना चाहिए?
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ एक हैबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कुछ लोगों के लापता होने का आरोप लगाया गया था।
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योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य की सुरक्षा सामूहिक जिम्मेदारी है और पहचान सत्यापन की प्रक्रिया इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने बताया कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों पर विशेष अभियान चलाया जा रहा है और सभी नगर निकायों को संदिग्ध विदेशी नागरिकों की पहचान कर सूची तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि गरीबों के लिए बनी योजनाओं का लाभ घुसपैठियों को नहीं मिलना चाहिए, इसलिए दस्तावेज़ सत्यापन अभियान चलाया जा रहा है। पहचाने गए लोगों को डिटेंशन सेंटर भेजा जा रहा है।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक मंडल में डिटेंशन सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं।
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