असमिया गायक-गीतकार राहुल राजखोवा ने अपने व्यक्तिगत श्रद्धांजलि लेख में दिग्गज गायक जुबीन गर्ग (जुबीन दा) को याद किया है। उन्होंने लिखा कि जुबीन दा केवल एक गायक नहीं थे, बल्कि असम की आत्मा की आवाज़ और एक पूरी पीढ़ी के लिए साहस का प्रतीक थे।
राहुल ने कहा कि जुबीन दा उनके लिए केवल एक संगीतकार नहीं, बल्कि मार्गदर्शक और बड़े भाई जैसे थे। उनका संगीत असम के हर घर-आंगन में गूंजता था और उनकी आवाज़ ने युवाओं को अपनी जड़ों और संस्कृति से जोड़ने का काम किया।
जुबीन गर्ग ने न केवल असमिया गीतों में बल्कि हिंदी और अन्य भाषाओं के गीतों में भी अपनी पहचान बनाई। उनका संगीत बहुआयामी था—कभी मधुर रोमांटिक, कभी गहरे सामाजिक संदेशों से भरा हुआ। राहुल ने बताया कि कैसे जुबीन दा ने असम की सांस्कृतिक पहचान को पूरे देश में मजबूत किया और असंख्य कलाकारों को प्रेरित किया।
और पढ़ें: गायक जुबीन गर्ग के अंतिम संस्कार स्थल का अंतिम निर्णय परिवार करेगा: असम मंत्री
उनकी गायकी ने असम को एक ऐसी धुन दी जिसने राज्य की पीढ़ियों को साहस, प्रेम और उम्मीद का संदेश दिया। राहुल का मानना है कि जुबीन दा ने कलाकारों को यह सिखाया कि कला केवल मनोरंजन नहीं बल्कि समाज और संस्कृति का दर्पण होती है।
राहुल ने भावुक होकर लिखा कि जुबीन दा का जाना एक व्यक्तिगत और सामूहिक क्षति है। वे कहते हैं कि असम ने न केवल एक गायक, बल्कि अपनी सांस्कृतिक आत्मा का महत्वपूर्ण हिस्सा खो दिया है।
और पढ़ें: असम के सांस्कृतिक प्रतीक जुबीन गर्ग का निधन