कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में 2023 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सामने आए बड़े पैमाने पर मतदाता धोखाधड़ी मामले में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। इस मामले की जांच कर रही कर्नाटक पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) ने अपनी चार्जशीट में पूर्व भाजपा विधायक सुभाष गुट्टेदार और उनके बेटे हर्षानंद गुट्टेदार को मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया है। चार्जशीट के मुताबिक, दोनों ने मिलकर लगभग 6,000 मतदाताओं के नाम वोटर सूची से हटाने के लिए कथित तौर पर जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया।
SIT ने आरोप लगाया है कि गुट्टेदार और उनके बेटे ने चुनाव से पहले अपने राजनीतिक लाभ के लिए मतदाता सूची में हेरफेर की योजना बनाई थी। आरोप है कि उन्होंने मतदाताओं के नाम हटाने के लिए आवश्यक फॉर्मों को फर्जी तरीके से भरा और जमा किया, ताकि विरोधी दलों के समर्थक मतदाता मतदान प्रक्रिया से बाहर हो जाएं। यह घटनाक्रम तब हुआ जब कर्नाटक में भाजपा की सरकार थी और सुभाष गुट्टेदार आलंद सीट से दोबारा चुनाव लड़ रहे थे।
सूत्रों के अनुसार, SIT अब अदालत से अनुरोध करने की तैयारी कर रही है कि निर्वाचन आयोग (ECI) इस मामले से जुड़े तकनीकी डाटा की जांच टीम को उपलब्ध कराए। इन डेटा में फॉर्म जमा करने के समय, डिजिटल सबमिशन रिकॉर्ड और वोटर डिलीशन से जुड़ी तकनीकी जानकारी शामिल है, जो इस मामले को और मजबूत बनाएगी।
और पढ़ें: कर्नाटक में सत्ता हस्तांतरण पर बढ़ा तनाव: सिद्धारमैया बोले—पार्टी कहेगी तो डीके शिवकुमार होंगे मुख्यमंत्री
SIT का मानना है कि लगभग 6,000 वोटर नामों को हटाने का यह प्रयास चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर प्रहार है। यह कदम चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप की श्रेणी में आता है, जिसे कानून के तहत गंभीर अपराध माना जाता है।
इस मामले में SIT की यह चार्जशीट कर्नाटक की सियासत में हलचल मचा सकती है, क्योंकि इसमें एक पूर्व विधायक और उनके बेटे पर सीधे तौर पर चुनावी धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। आगे की जांच और अदालत का रुख इस केस को और महत्वपूर्ण बना देता है।
और पढ़ें: कर्नाटक में सत्ता संघर्ष के बीच शिवकुमार और कुमारस्वामी में तीखी नोकझोंक