कर्नाटक में जारी राजनीतिक खींचतान के बीच उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार और केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के बीच धार्मिक नेताओं की भूमिका को लेकर तीखी बयानबाज़ी छिड़ गई है। दोनों नेता वोक्कालिगा समुदाय के प्रभावशाली नेतृत्व के दावेदार माने जाते हैं।
कुमारस्वामी ने कहा कि धार्मिक नेताओं को राजनीति से दूर रहना चाहिए। वहीं शिवकुमार ने उनकी नैतिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि 1994 में एच.डी. देवगौड़ा, जो कुमारस्वामी के पिता हैं, वोक्कालिगा संत निर्मलानंद स्वामी के आशीर्वाद के बिना मुख्यमंत्री नहीं बन पाते।
कुमारस्वामी ने हालिया विवाद का जिक्र किया, जिसमें निर्मलानंद स्वामी ने सिद्धारमैया के साथ चल रहे नेतृत्व विवाद के दौरान शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी। इसके जवाब में मुख्यमंत्री के समुदाय कुरुबा के नेताओं ने सिद्धारमैया के समर्थन में बयान दिया।
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कुमारस्वामी ने कहा, “राजनीति राजनेताओं का काम है। धार्मिक नेताओं को किसी पक्ष में बयान नहीं देना चाहिए।” उन्होंने कहा कि वह दो बार मुख्यमंत्री रहे, लेकिन उन्होंने कभी धार्मिक नेताओं से समर्थन नहीं मांगा। उन्होंने जाति और धर्म को राजनीतिक हथियार बनाने की निंदा की और कहा कि इससे समाज में टकराव बढ़ रहा है।
उन्होंने चेतावनी दी कि राज्य में जाति-आधारित राजनीति बड़े पैमाने पर फैल रही है, जिससे समुदायों में अनावश्यक विवाद पैदा हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस की नहीं, बल्कि कर्नाटक की जनता के लिए शर्म की बात है।
जवाब में शिवकुमार ने तंज कसते हुए कहा कि “कुमारस्वामी बड़े नेता हैं, उन्हें किसी समर्थन की जरूरत नहीं।” उन्होंने कहा कि संत कभी-कभी अपनी भावनाओं के आधार पर बोलते हैं, और उसमें कोई गलती नहीं है।
शिवकुमार ने बताया कि विभिन्न समुदायों के संतों ने उन्हें स्वेच्छा से समर्थन दिया है, जिसे वे सम्मान की नजर से देखते हैं।
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