भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने घोषणा की है कि पार्टी आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहेगी। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव (केटीआर) ने कहा कि बीआरएस इस चुनाव प्रक्रिया में भाग नहीं लेगी और तटस्थ रुख अपनाएगी।
केटीआर ने कांग्रेस पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस नेताओं ने बीआरएस विधायकों को अपने खेमे में शामिल करने की कोशिश की है। उन्होंने यह भी दावा किया कि हाल ही में एक टीवी बहस के दौरान प्रदेश कांग्रेस समिति (पीसीसी) प्रमुख ने स्वयं बीआरएस विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने की बात स्वीकार की थी।
बीआरएस नेताओं का कहना है कि कांग्रेस का यह रवैया लोकतांत्रिक मूल्यों और राजनीतिक नैतिकता के खिलाफ है। केटीआर ने कांग्रेस पर विधायकों को तोड़ने की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे न केवल लोकतांत्रिक व्यवस्था कमजोर होती है बल्कि जनता का विश्वास भी डगमगाता है।
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विश्लेषकों का मानना है कि बीआरएस का उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहना राष्ट्रीय राजनीति में पार्टी की रणनीति का हिस्सा है। इससे पार्टी एक ओर जहां एनडीए और इंडिया गठबंधन से दूरी बनाए रखेगी, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के खिलाफ अपना रुख और स्पष्ट करेगी।
बीआरएस के इस कदम से उपराष्ट्रपति चुनाव में राजनीतिक समीकरणों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन यह पार्टी के रुख को स्पष्ट करता है कि वह दोनों प्रमुख गठबंधनों से दूरी बनाकर स्वतंत्र पहचान बनाए रखना चाहती है।
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