मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने बुधवार (26 नवंबर 2025) को मौखिक रूप से कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश की संवैधानिक अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को पुनर्जीवित करने और कोलेजियम प्रणाली को समाप्त करने की मांग करने वाली याचिका पर “विचार करेगा”।
यह याचिका केंद्र सरकार, कई राजनीतिक दलों के साथ-साथ भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम को भी प्रतिवादी बनाती है। याचिका में कहा गया है कि 2015 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनजेएसी को असंवैधानिक करार देना “एक बड़ी गलती” थी, क्योंकि इससे “जनता की इच्छा को चार न्यायाधीशों की राय से बदल दिया गया”।
एनजेएसी एक ऐसी संरचना थी जिसमें न्यायिक नियुक्तियों में सरकार और न्यायपालिका की बराबर की भूमिका होती। लेकिन इसे 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के मूल ढांचे के उल्लंघन का हवाला देते हुए खारिज कर दिया था। इसके बाद से देश में न्यायाधीशों की नियुक्ति केवल कोलेजियम प्रणाली के माध्यम से होती है, जिसमें वरिष्ठतम न्यायाधीश ही नियुक्ति की प्रक्रिया का नेतृत्व करते हैं।
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एनजेएसी को समर्थन देने वाले लोग कहते हैं कि न्यायपालिका में पारदर्शिता, जवाबदेही और लोकतांत्रिक सहभागिता बढ़ाने के लिए सरकार और न्यायपालिका दोनों की भागीदारी जरूरी है। वहीं विरोधियों का कहना है कि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।
सीजेआई सूर्यकांत का यह बयान न्यायिक नियुक्तियों की बहस को एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना सकता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका पर विचार किए जाने की घोषणा से इस विषय पर नई कानूनी और राजनीतिक हलचल की संभावना है।
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