एयर मार्शल अशुतोष दीक्षित, जो चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (सीआईएसडी) टू द चेयरमैन चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी हैं, ने कहा है कि महत्वपूर्ण खनिज राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा क्षमताओं के विकास और तकनीकी संप्रभुता के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने यह बात मंगलवार (23 दिसंबर, 2025) को एक चर्चा कार्यक्रम के दौरान कही।
‘मिनरल्स दैट मैटर: जियोपॉलिटिक्स, सॉवरेनिटी एंड वैल्यू चेन्स’ शीर्षक से आयोजित इस चर्चा में एयर मार्शल दीक्षित ने आधुनिक रक्षा प्रणालियों में महत्वपूर्ण खनिजों की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आज के रक्षा तंत्र—जैसे जेट इंजन, मिसाइलें, सटीक हथियार प्रणालियां, रडार, उपग्रह, बैटरियां और सेमीकंडक्टर—इन खनिजों की सुनिश्चित और निर्बाध उपलब्धता पर गहराई से निर्भर हैं।
एयर मार्शल दीक्षित ने यह भी चेतावनी दी कि विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखलाएं अत्यधिक सीमित और कुछ गिने-चुने देशों तक केंद्रित हैं। इसके साथ ही ये आपूर्ति नेटवर्क निर्यात नियंत्रणों और बढ़ते भू-राजनीतिक दबावों के अधीन होते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में किसी भी देश के लिए इन संसाधनों पर अत्यधिक बाहरी निर्भरता रणनीतिक जोखिम पैदा कर सकती है।
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उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश के लिए आत्मनिर्भरता और वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों का विकास अत्यंत आवश्यक है, ताकि रक्षा उत्पादन और उन्नत प्रौद्योगिकियों में किसी प्रकार की बाधा न आए। महत्वपूर्ण खनिजों की घरेलू खोज, खनन, प्रसंस्करण और सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखला विकसित करना राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए।
एयर मार्शल दीक्षित के अनुसार, इन खनिजों तक स्थायी पहुंच न केवल सैन्य ताकत को मजबूत करती है, बल्कि उभरती प्रौद्योगिकियों में देश की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति और रणनीतिक स्वायत्तता को भी सुनिश्चित करती है।
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