तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) ने चुनाव आयोग द्वारा 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शुरू किए गए ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)’ के दूसरे चरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
डीएमके के संगठन सचिव आर. एस. भारती ने यह याचिका दायर करते हुए कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया संवैधानिक अतिक्रमण (Constitutional Overreach) है और इसे एक छिपे हुए रूप में लागू किया गया एनआरसी (National Register of Citizens) माना जाना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि एसआईआर नागरिकता साबित करने जैसे प्रमाणों की मांग कर रहा है, जो इसके वैधानिक उद्देश्य से परे है। इससे यह अभ्यास एक “डिफैक्टो एनआरसी” की तरह काम कर रहा है। यदि 27 अक्टूबर के आदेश को निरस्त नहीं किया गया, तो यह प्रक्रिया लाखों मतदाताओं को मनमाने ढंग से मताधिकार से वंचित कर सकती है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों तथा लोकतंत्र के मूल ढांचे को कमजोर करेगा।
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डीएमके ने यह भी तर्क दिया कि किसी राज्य में इस तरह की व्यापक और संसाधन-गहन प्रक्रिया बिना परामर्श या प्रशासनिक आवश्यकता के थोपना, संविधान की संघीय संरचना का उल्लंघन है, जिसे संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा माना गया है।
यह याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता एन.आर. एलांगो के मार्गदर्शन में और अधिवक्ता सौश्रिया हावेलिया द्वारा तैयार की गई है। यह एसआईआर के दूसरे चरण के खिलाफ पहली औपचारिक कानूनी चुनौती मानी जा रही है, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर संवैधानिक बहस की संभावना बढ़ गई है।
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