संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने बिहार में जारी विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण (Special Intensive Revision of Electoral Rolls) के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। विपक्ष का आरोप है कि यह कवायद राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित है और इसका उद्देश्य आगामी चुनावों में मतदाता सूची में मनमाना फेरबदल करना है।
कांग्रेस, राजद, डीएमके और वामपंथी दलों समेत कई विपक्षी पार्टियों ने संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे को उठाया। उनका कहना था कि राज्य सरकार और चुनाव आयोग की मिलीभगत से मतदाता सूची में व्यापक स्तर पर बदलाव किए जा रहे हैं, जिससे निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, “बिना किसी सार्वजनिक सूचना के या स्थानीय निकायों की उचित भागीदारी के बिना इस तरह का पुनरीक्षण लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है।”
लोकसभा में भी विपक्षी सांसदों ने कार्यवाही को बाधित करते हुए नारेबाज़ी की और इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग की।
विपक्ष ने चुनाव आयोग से इस विशेष पुनरीक्षण की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने और इसकी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र जांच की मांग की है।
सरकार की ओर से कहा गया है कि यह पुनरीक्षण नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है और इसे चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही किया जा रहा है। बावजूद इसके, विपक्ष का विरोध अब भी जारी है।