कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर देशभर में श्रद्धालुओं ने नदियों, झीलों और घाटों पर पवित्र स्नान कर आस्था और भक्ति का उत्सव मनाया। यह दिन हिन्दू पंचांग में अत्यंत पवित्र माना जाता है और कार्तिक मास की पूर्णिमा को चिह्नित करता है। इसे धार्मिक भक्ति, दान और प्रकाश उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो आध्यात्मिक शुद्धता और अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
हरिद्वार में हर्की पौड़ी पर हजारों श्रद्धालु गंगा में पवित्र स्नान के लिए सुबह से जुटे। घाटों पर भजन-कीर्तन और गंगा आरती की ध्वनियों से वातावरण भक्तिमय हो गया। श्रद्धालु शोभा गोसाई ने बताया कि गंगा में स्नान करने का अनुभव अद्भुत था और यह मन को शांति प्रदान करता है।
वाराणसी में देव दीपावली के अवसर पर दस लाख से अधिक दीपों ने घाटों को प्रकाशित कर मनोहारी दृश्य प्रस्तुत किया। दशाश्वमेध घाट और काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं ने आरती की, दीप जलाए और प्रार्थना की। यह पर्व हिंदू मान्यता के अनुसार देवताओं के गंगा स्नान का प्रतीक भी है।
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अयोध्या में सारयू घाट पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच स्नान किया गया। बिहार के पटना में गंगा घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।
मध्य प्रदेश में उज्जैन की त्रिवेणी घाट और जबलपुर की नर्मदा नदी में श्रद्धालुओं ने स्नान कर पूजा-अर्चना की। उज्जैन के रामघाट के पंडित संजय त्रिवेदी ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
ओडिशा में इस दिन को पारंपरिक बोइता बंदना उत्सव के रूप में मनाया गया। भुवनेश्वर के बिंदु सरोवर और पुरी के नरेंद्र पोखरी में श्रद्धालुओं ने पत्तों और कागज के बने छोटे जहाज तैराईं, प्राचीन समुद्री व्यापार की परंपरा का स्मरण किया।
कार्तिक पूर्णिमा भगवान कार्तिकेय के जन्म का दिन है और भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार से भी जुड़ा है। यह दिन दान, मंदिर सजावट, दीप प्रज्वलन और मेलों के माध्यम से श्रद्धालुओं में एकता और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।
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