विशाखापट्टनम में अयोध्या राम मंदिर की प्रतिकृति पर आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में श्रद्धालुओं से अनुष्ठानों के लिए शुल्क वसूलने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस आयोजन में श्रद्धालुओं को पूजा और अनुष्ठानों के लिए पैसे देने पड़ रहे हैं, जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने की बात कही जा रही है।
सबसे बड़ा आपत्ति का विषय यह है कि इस आयोजन में भद्राचलम स्थित प्रसिद्ध श्री सीता रामचंद्र स्वामी देवस्थानम का नाम भी प्रचार सामग्री में प्रयोग किया गया है। देवस्थानम के अधिकारियों ने इस पर कड़ा ऐतराज़ जताया है और आंध्र प्रदेश के धर्मादाय विभाग (Endowments Department) में आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है।
देवस्थानम प्रशासन का कहना है कि उन्होंने इस आयोजन के लिए न तो अनुमति दी है और न ही कोई आधिकारिक समर्थन। उनका यह भी कहना है कि इस प्रकार धार्मिक प्रतिष्ठान के नाम का प्रयोग कर अनुष्ठानों के लिए पैसे लेना एक प्रकार की धार्मिक आस्था का व्यावसायीकरण है, जो निंदनीय है।
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शिकायत के बाद धर्मादाय विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आयोजकों से स्पष्टीकरण मांगा है। स्थानीय श्रद्धालु और धर्माचार्यों ने भी इस पर नाराज़गी जताई है और आयोजन की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।
यह विवाद एक बार फिर इस बात को रेखांकित करता है कि धार्मिक आयोजनों में पारदर्शिता, आस्था और सार्वजनिक सहभागिता के मूल्यों को बनाए रखना कितना आवश्यक है।